पेटू
रिश्वत खा-खा कर हुए, “पेटू” पोपटलाल।
सरकारी ससुराल में , खींच रहे हैं माल ।।
खींच रहे हैं माल, प्रशासन की इनको सह।
जनता को दुत्कार, हमेशा भटकाते यह ।।
धोखे से यदि पुलिस, इन्हें देती है दिक्कत।
चुपके से कुछ भाग, खिला देते हैं रिश्वत ।।
-जगदीश शर्मा सहज
अशोकनगर