पेंशन
शर्म करो।
पेंशन पेंशन पेंशन, मैं यह बखूबी जानता हूं की तुमने बातें बनानी और करनी दोनों सीख ली हैं तभी तो इस जमाने में भी तुम्हारा रसूख कायम है। तुम इतने बड़े बेशर्म हो कि राष्ट्र धर्म को पेट और गरीब से जोड़कर कैसे अपना रसूख कायम रखना है, तुम जानते हो। तुम जानते हो की पेंशन उस राष्ट्र भक्ति की चेतना के लिए थी, जिसने कभी उस पेंशन से एक निवाला तक न लिया। नहीं तो भारत जैसे देश में तो पेंशन कभी नहीं होना चाहिए था। तमाम संस्कृतियों की गुलामी से त्रस्त देश में राष्ट्र वादी कहा थे, फिर भी हमारे वीर नेतृत्व को लगा की राष्ट्र बनाने के लिए ये जरूरी है सो किया। सत्तर सालों में इस पेंशन ने तुम्हे जाहिल बना दिया।
क्या तुम बताओगे कि भगत, खुदी, आजाद, विस्मिल को कौन सी पेंशन मिली और उनका परिवार क्या ले रहा, है भी की नहीं! हरामियों, तुमको आजादी ने नमक हराम बनाया है। घूस, गद्दारी, जनता को लूटने का आक्षेप लगाया है तुम्हारी अपनी आजाद जनता ने, इसका कोई उत्तर तो है नहीं तुम्हारे पास सालों, तुम्हे बस पेंशन चाहिए।
जिन परमवीर चक्रों के नाम पर तुम्हे शान शौकत की जिंदगी मिलती है क्या किया है उनके परिवारों के लिए तुमने।
जिस देश में सरकार को गरीबों के पेट भरने के लिए संसाधन जुटाने पड़े, जिस देश में बच्चे अपने मूलभूत अधिकारों से महरूम हो, जिस देश में अपने पोषण के लिए अस्मत का सौदा करना पड़े। जिस देश में मजदूरों को पलायन करना पड़े क्योंकि उसका मालिक समय से मजदूरी न दे पाता हो, उस देश में तुम्हे पेंशन चाहिए ।
तुम वो प्रजाति हो जो भारत को शहतराब्दियों तक गरीबी के मकड़ जाल में रखना चाहती है। तुम मुगलों और अंग्रेजो से भी अधिक घातक हो।
No work no pension. Contribute and take pension.
जै हिंद, राष्ट्र प्रथम