पृचार की महिमा।
पृचार की महिमा अपरम्पार है।जो आम को भी बना देता है खास।गर बन गई जिनकी समाधी फिर पूज रहा है संसार।पृचार की महिमा अपरम्पार। जितना होगा पृचार । उतना ही चलता है व्यापार। मिट्टी कोई न जाने सोने को जानै सकल जहान।ताकत है पृचार की दुर्बल भी बलवान।।झूठा भी हो पृचार पर ताकतवर बन जाता है। कोई जानै न कला को वहीं का वहीं दब जाता है।।पृचार आज का सबसे महान है।पृचार नहीं तो देवता भी परेशान हैं।।पृचार करो इतना कि कोई रहें न बेखबर।पृचार के बूते पर क्या गांव क्या शहर।।