पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
लाल आग के गोले जैसे लगते हो
अपनी किरणों का तुम जाल बिछा देते
विदा निशा को करके कितना हँसते हो
नया सवेरा लाता है उम्मीद नई
ये समझाकर दूर निराशा करते हो
कोई आँखें तुमसे मिला न पाता है
आसमान में कितना तेज़ चमकते हो
कड़ी धूप में बैठ ही नहीं पाते हम
तुम इतनी गर्मी को कैसे सहते हो
पश्चिम में जाकर गायब हो जाते तुम
बतलाओ वो पता जहाँ पर रहते हो
05-11-2022
डॉ अर्चना गुप्ता