पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
सब हालातों से वाकिफ होकर भी अनजान बन जाता है,
ये कैसा सफर है इश्क़ का समझ नही आता किसी को,
वो इश्क़ से भागने वाला, सवालो की दुकान बन जाता है।
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✍️राजेश कुमार अर्जुन