लगता है अपने रिश्ते की उम्र छोटी ही रही ।
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
चेहरे पे चेहरा (ग़ज़ल – विनीत सिंह शायर)
हम चुप रहे कभी किसी को कुछ नहीं कहा
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
पुरानी यादें, पुराने दोस्त, और पुरानी मोहब्बत बहुत ही तकलीफ
हिंदी है भारत देश की जुबान ।
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि