पूजा
हे प्रभु !पूजा पाठ का, मुझे नहीं है ज्ञान।
पलक झपकती जब कभी, करती तेरा ध्यान।।
किसी जरूरत मंद का, सेवा करें जरूर।
तब ही पूजा पाठ हो,भगवन को मंजूर। ।
जो दुखियों का दुख हरे, बाँट रहा मुस्कान।
सच्ची पूजा है यही,वो सच्चा इंसान। ।
मात-पिता को दुख दिया, देखे केवल अर्थ।
उसका पूजा प्रार्थना, हो जाता है व्यर्थ। ।
पत्थर के मंदिर बने, पत्थर के भगवान।
पत्थर को ही पूजता, पत्थर-सा इंसान।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली