पुस्तक
है जीवंत देवता पुस्तक ।
ज्ञान दीप दुनिया नत मस्तक।।
नित्य नियम से जो जन पढता।
बुद्धिमान हर क्षेत्र सफलता।।
धर्म कर्म अरु ज्ञान कहानी ।
पुस्तक महिमा वेद बखानी।।
युगों पूर्व इतिहास पुराना।
छपा लिखा पुस्तक से जाना ।।
सागर सम पुस्तक में ज्ञाना।
सुन पढकर दुनिया ने जाना ।।
पुस्तक मित्र गुरू दो रूपा।
वरदायक यह देव स्वरूपा ।।
पुस्तक का जो लिया सहारा ।
समझा धर्म कर्म परिवारा।।
वेद ग्रंथ सब पुस्तक रूपा।
पूर्व युगों का लिखा स्वरूपा ।।
पुस्तक में जो लिखी कहानी।
प्रमाण रूप कहें सब ज्ञानी ।।
धर्म शास्त्र सब होते पुस्तक ।
श्राद्धा भाव सभी नतमस्तक ।।
राजेश कौरव सुमित्र