पुस्तक समीक्षा-प्लासी का युद्ध
बंगाल की लूट पर आधारित है ‘प्लासी का युद्ध’
प्रसिद्ध कहावत है ‘घर का भेदी, लंका ढाए’ उसी प्रकार दूर देशों से आए अंग्रेज कभी भारत को या तमाम भारतवासियों को अपनी कूटनीतियों में न फँसा पाते, जब तक हमारे ही देश के कुछेक विश्वासघातों की उनको भरपूर मदद न मिलती। इतिहास गवाह कि जब-जब फिरंगियों ने भारत की पवित्र धरा पर गलत नीयत से कदम रखे, तब-तब उनको मार ही झेलनी पड़ी।
भारत के जांबाजों, शहजादों या नवाबों के अंग्रेजों के साथ अनेक युद्ध हुए, जिसमें एक ऐतिहासिक युद्ध ‘प्लासी’ का रहा। जिसका संबंध बंगाल से जुड़ा, जब अंग्रेजों ने बंगाल को गलत निगाह से देखते हुए उसे संपूर्ण रूप से अपने कब्जे में लेने की कूटनीति से राज्य के ऐसे विश्वासपात्र व्यक्ति को अपना मोहरा बनाया, जिस पर कोई शक तो क्या उसके बारे में गलत सोच भी नहीं सकता था और वह शख्स था ‘मीरजाफर’। जिसने थोड़ेे-से लालच में आकर केवल अपने नवाब से ही नहीं, बल्कि संपूर्ण राज्य से दगा कर ली और बंगाल की लूट व उजाड़ का कारण बना।
पुस्तक ‘प्लासी का युद्ध (बंगाल की लूट)’ में वरिष्ठ इतिहासकार श्री केशवप्रसाद गुरु (मिश्रा) ने प्लासी तथा बंगाल के इतिहास को बहुत ही गंभीरता से लेखनी में शामिल कर पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत करने का सराहनीय कार्य किया है, जिसमें उन्होंने उक्त पुस्तक को कुल दस अध्यायों एवं अन्तिम सन्दर्भ ग्रन्थ सूची में विभक्त किया है।
सुधी पाठक उक्त शोध ग्रन्थ ‘प्लासी का युद्ध (बंगाल की लूट)’ में जानेंगे कि कैसे अंग्रेजों ने भारत में प्रवेश किया? सिराजुद्दौला जो बंगाल का नवाब था को कैसे मीरजाफर ने अपने विश्वास में लेकर बड़ी चालाकी से धोखा दिया? प्लासी का युद्ध किस स्थान पर हुआ और उसमें अंग्रेजों ने किस तरह मीरजाफर को लालच में लेकर हजारों संख्या की सेना को बंदी बनाया? सिराजुद्दौला को किस प्रकार गिरफ्तार किया? आदि….
सभी अध्यायों की रोचकता पढ़ते ही बनती है, क्योंकि लेखक ने बंगाल के सम्पूर्ण इतिहास को इस कदर सिलेसिलेवार ढाला है कि पाठकों को अतीत के इतिहास को समझने में जरा भी देरी न लगे।
इतिहासकार श्री केशवप्रसाद गुरु (मिश्रा) जो पूर्व में भी ऐतिहासिक पुस्तकें अपने साहित्य-श्रम में शामिल कर चुके हैं। जिनसे इतिहास के छात्र एवं शोधार्थियों को न केवल मार्गदर्शन मिला, बल्कि उन्होंंने ऐतिहासिक पुस्तकों के अध्यन से नए आयाम भी स्थापित किए हैं।
मनोज अरोड़ा
लेखक एवं समीक्षक
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