Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2022 · 5 min read

पुस्तक समीक्षा -एक थी महुआ

पुस्तक -‘एक थी महुआ’

लेखिका-सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’

ISBN978-93-80835-74-0
प्रकाशक -आरती प्रकाशन साहित्य सदन, इन्दिरा नगर-2, लालकुऑं,
जिला नैनीताल -262402
email-asha.shaili@gmail.com
पुस्तक-एक थी महुआ (कहानी संग्रह)
लेखक-सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’
सर्वाधिकार-लेखक के अधीन
आवरण-विजय काण्डपाल
संस्करण-प्रथम सन् 2021
मूल्य-150/-
पृष्ठ-128

समीक्षात्मक अभिव्यक्ति-‘रश्मि लहर’

इक्कीस अविस्मरणीय कहानियों का अनोखा संग्रह- “एक थी महुआ” नि:संदेह मन को झकझोर देता है । एक तरफ कहानियाँ मनोवैज्ञानिक रूप से हर समस्या को समाधान की तरफ ले जाती हुई दिखती हैं, तो दूसरी तरफ कहानियाॅं अपने पात्रों के माध्यम से समाज को एक संदेश भी देती हैं ।
किसी भी कहानी की समीक्षा इसके तत्वों के आधार पर की जाती है । कहानी के मुख्यतः छ्ह तत्व होते हैं – कथानक, पात्र, संवाद, देशकाल, उद्देश्य तथा भाषा शैली । यदि हम पुस्तक ‘एक थी महुआ’ को पढ़ना प्रारम्भ करते हैं, तो इसकी हर कहानी स्वयं में पूर्ण है। सारे तत्व प्रभावशाली रूप से कहानी को सुदृढ़ बनाने में सफल लगते हैं । उदाहरणस्वरूप पहली कहानी ‘सतरंगी किरणें’ में ही देखिए- पहली पंक्ति ही रोचकता से भरपूर ..
“श्यामबाबू के दिमाग का पारा आज सांतवें आसमान पर था ।“ पाठक ये पढ़ते ही कहानी को पूरा पढ़ने लोभ त्याग नहीं पाता ..इसी प्रकार पात्रों की दृष्टि से भी श्यामबाबू, रमा तथा सावित्री देवी, नरेंद्र, माँ इतने सशक्त रूप से अपने पक्ष को पकड़े रहते है कि लगता है सावित्री देवी का हर भाव पाठक का निजी भाव है । अंत की पंक्तियों का भाव-सौंदर्य देखिए..
“काश कि तुम यह हिम्मत पहले करती…नहीं ! अब मैं इस बच्ची, अपनी बहू की खुशियों को छीनकर एक और गुनाह नहीं करना चाहता ।“
इतनी सुगठित कथावस्तु और कहानी की चरमावस्था इतनी सुदृढ़, निःसंदेह कथाकार की पूरी पकड़ हर पात्र की अभिव्यंजना पर है । कहानी ‘लक्ष्मी’ हो या ‘कर्फ्यू’ हर कथानक अपने आप में सम्पूर्ण है । कहानी में न तो पात्रों की अधिकता है न ही किसी पात्र का कोई भी पक्ष कमजोर हो पड़ा है । उत्कृष्टता के साथ परिपक्व लेखन कहानीकार की साहित्यिक समृद्धता को परिलक्षित करता है । कहानी में पात्रों के चरित्र में जो निर्भीकता तथा प्रेम का मानवीय रूप दिखता है, वो लाजवाब है – उदाहरणार्थ – कहानी ‘खुशियाँ लौट आयीं’ में इतना यथार्थवादी संदेश और इतनी भाव-प्रवणता से लेखनी चली है कि पाठक वाह-वाह कर उठे …
“नहीं-नहीं मानसी ! तेरे माता पिता का इसमें कोई दोष नहीं है । सिर्फ हम दोनो अकेले ना रहे, यही सोचकर उन्होने तुझे अपने पास नहीं बुलाया ।“ कहानी का इतना आदर्शवादी अंत करके समाज को एक यथार्थवादी संदेश भी दिया है ।
पुस्तक की भाषा शैली तो मंत्रमुग्ध करने वाली है । सौंदर्य के वर्णन का ढंग हो या वाकपटुता तथा कथावस्तु हर कहानी की बहुत सुगठित है । कथोपकथन की दृष्टि से भी हर कहानी प्रभाव छोड़ती है । जैसे काव्या की ये पंक्तियाँ ही देखिये –
“जितने खूबसूरत उसके शब्द हैं, उतनी ही खूबसूरत और मधुर उसकी आवाज और रचना पढ़ने के अन्दाज भी है “ और
“ये दिल भी कितना जिद्दी है, जिद्द तो देखो..”
कई स्थानो पर पात्र की संवाद अदायगी मन को झकझोर कर रख देती है । जैसे कहानी ‘नई जिंदगी’ में पूजा-
“हे भगवान यह मौसम को कया हो गया ? अचानक से इतना खराब कैसे हो गया? और..और ये…ये नवीन भी अब तक क्यों नहीं आये ? अब तक तो आ जाना चाहिए था!“
इतनी सुंदर शब्द संरचना कि जिज्ञासा शुरूआत से ही कहानी में स्थान ग्रहण कर लेती है ..कि पाठक पूरी कहानी पढ़े बिना उठ नहीं सकता ।
कहानी की सम्पूर्णता उसके पात्रों की गतिशीलता से होती है । ‘ग़ज़ल’ जी की कहानियों के पात्र बहुत सहज, कोमल तथा निर्मल हैं । उदाहरणस्वरूप कहानी ‘तुम्हारे सपने’ को ही लीजिए –
इसमें कहानी का भाव-पक्ष ..कला-पक्ष इतना माधुर्यपूर्ण है कि पाठक मुस्कुरा कर पात्रों को सोचता रह जाता है । जैसे –
“सुधा की बात को सुनते ही पूनम के चेहरे का रंग मारे शर्म के और भी खिल उठा …उसके गालों की गुलाबी रंगत और भी गुलाबी हो गयी और वो थोड़ा शरमाते हुए कहने लगी ..वो….वो..क्या है कि दीदी विशाल को ये रंग बहुत पसंद है …और उन्होने कहा है कि जब मैं आऊं तो तुम यही सूट पहनना…”
पूरी कहानी को पढ़ते जाने का लोभ पाठक नहीं छोड़ सकते – जिज्ञासा से भरा आरम्भ और पीढ़ी के संघर्षों को व्यक्त करते हुए लेखिका जब सकारात्मक अंत करती है तो पाठक वाह-वाह कर उठते हैं ।
कहानी चाहे ‘तुम्हारे सपने’ हो, या ‘छ्ल’ हो, संवेदना से परिपूर्ण है । जिस तरह कहानी ‘तुम्हारे सपने’ में लेखिका ने इतना सधा हुआ वाक्य सुसज्जित किया है, वो काबिले तारीफ है । इतनी सन्तुष्टिपूर्ण अंतिम पंक्ति देखिए –
“राकेश ने भी पूनम के सिर पर अपना हाथ रखते हुए कहा “हाँ पूनम तुम्हारे सपने हमेशा तुम्हारे ही रहेंगे।“
अद्भुत भाषा लालित्य से पूर्ण लेखन के कारण लेखिका का हर भाव प्रशंसनीय है । किसी भी कहानी का दृष्टिकोण एकांगी नहीं मिलता …न ही किसी कहानी में सहृदयता की कमी लगती है।
जैसे ‘छ्ल’ कहानी में –
“नहीं मेरी बच्ची ..माँ तो हजार मुश्किलें सहकर भी अपने बच्चों को मुसीबत से बचाने सात समुंदर पार भी पहुंच जाती है, फिर आगरा तो मेरा बचपन का शहर है ।“
लेखिका की कहानियाँ तात्विक रूप से भी पूरी तरह समृद्ध हैं। पात्रों की परिस्थितियों का भी भावानुकूल ढंग से चित्रण किया गया है । कहानी लिखने में इतनी परिपक्वता है कि हर कहानी का पात्र जैसे जीवित हो उठता है …जैसे ‘एक थी महुआ’ कहानी को ही लीजिए । इसमें जहाँ प्यार-दुलार है, वहीं संचेतना भी है, जहाँ संघर्ष है, वहीं रास्ता चुनने का साहस भी है । जिस तरह से महुआ ने अंतिम समय तक संघर्ष किया, अविस्मरणीय है । महुआ के वियोग में उसके पिता के भावों का जो मार्मिक विवरण किया गया है, निःसंदेह उससे यह कहानी सर्वोत्तम हो गयी है ।
अंत में मैं यही कहूॅंगी कि लेखिका की पुस्तक ‘एक थी महुआ’ अद्भुत संवाद सौष्ठव से परिपूर्ण मोहक संप्रेषणीयता, पीढ़ियों के संघर्षों तथा पीड़ा को दर्शाती हुई एक सम्पूर्ण कहानी संग्रह है, जिसमें मानवीय सरोकारों के साथ जीवन की बदलती व्यवस्था एवं प्रेम सम्बंधों के बदलते स्वरूपों का यथार्थवादी ढंग से चित्रण किया गया है । साहित्य को एक अनमोल कृति देने के लिए लेखिका को अनंत शुभकामनाएं तथा साधुवाद !

रश्मि ‘लहर’
सी-8, इक्षुपुरी कालोनी,
ओल्ड जेल रोड,
लखनऊ, उ.प्र.- 226002

1 Like · 564 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पूछो ज़रा दिल से
पूछो ज़रा दिल से
Surinder blackpen
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
माँ आजा ना - आजा ना आंगन मेरी
Basant Bhagawan Roy
अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
2949.*पूर्णिका*
2949.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अपना पन तो सब दिखाते है
अपना पन तो सब दिखाते है
Ranjeet kumar patre
सबूत- ए- इश्क़
सबूत- ए- इश्क़
राहुल रायकवार जज़्बाती
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
💞 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त 💞
💞 डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त 💞
DR ARUN KUMAR SHASTRI
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
15🌸बस तू 🌸
15🌸बस तू 🌸
Mahima shukla
मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
उहे समय बा ।
उहे समय बा ।
Otteri Selvakumar
जीवन के किसी भी मोड़ पर
जीवन के किसी भी मोड़ पर
Dr fauzia Naseem shad
🙅कड़वा सच🙅
🙅कड़वा सच🙅
*प्रणय*
सबकी विपदा हरे हनुमान
सबकी विपदा हरे हनुमान
sudhir kumar
अंग्रेज तो चले गए ,
अंग्रेज तो चले गए ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हद
हद
Ajay Mishra
" सितारे "
Dr. Kishan tandon kranti
कहानियां उनकी भी होती है, जो कभी सफल नहीं हुए हर बार मेहनत क
कहानियां उनकी भी होती है, जो कभी सफल नहीं हुए हर बार मेहनत क
पूर्वार्थ
"मोहे रंग दे"
Ekta chitrangini
देश हे अपना
देश हे अपना
Swami Ganganiya
31/05/2024
31/05/2024
Satyaveer vaishnav
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
कुछ लोग घूमते हैं मैले आईने के साथ,
Sanjay ' शून्य'
रूठ जा..... ये हक है तेरा
रूठ जा..... ये हक है तेरा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
भड़ोनी गीत
भड़ोनी गीत
Santosh kumar Miri
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
Loading...