गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
पुस्तक परिचय
पुस्तक का नाम : गीता मर्मज्ञ श्री दीनानाथ दिनेश जी
लेखक एवं प्रकाशक : रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश मोबाइल 9997615451
प्रथम संस्करण : अक्टूबर 2015
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पंडित दीनानाथ भार्गव दिनेश अपने समय के असाधारण कोटि के प्रवचनकर्ता थे।उनके जीवन के विविध पक्षों को इस पुस्तक में संजोया गया है। पुस्तक में श्री दीनानाथ दिनेश चालीसा भी है और दिनेश जी की विस्तृत जीवनी भी है। इससे पता चलता है कि 1933 में मात्र 23 वर्ष की आयु में दिनेश जी ने श्री हरि गीता की रचना की थी।
रेडियो पर गीता प्रवचन शीर्षक से दिनेश जी की अखिल भारतीय ख्याति का जो सुंदर आयाम है, उस पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है।
गृहस्थ संत शीर्षक से दिनेश जी के पारिवारिक परिदृश्य को दर्शाया है।
साहित्यकार दिनेश जी शीर्षक से साहित्यिक जगत में दिनेश जी का जो योगदान कवि और लेखक के नाते साहित्यिक जगत में रहा, उसकी एक छटा प्रस्तुत की गई है। इसमें विष्णु प्रभाकर जी का विशेष उल्लेख है।
दिनेश जी को ध्यान सिद्धि थी, अतः इस शीर्षक से उनके अलौकिक अनुभवों को भी पुस्तक में स्थान मिला है।
दिनेश जी ने आध्यात्मिक दृष्टि से मानव धर्म मासिक पत्रिका निकाली थी। यह 1941 से 1969 तक अर्थात 28 वर्ष तक प्रकाशित हुई। पत्रिका का आध्यात्मिक के साथ-साथ राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना मूलक दृष्टिकोण भी पुस्तक में दर्शाया गया है। मानव धर्म मासिक पत्रिका के गॉंधी विशेषांक की, जो गॉंधी जी की मृत्यु के तत्काल बाद प्रकाशित हुआ था, विशेष रूप से चर्चा की गई है । सुदीर्घ आध्यात्मिक जीवन में दिनेश जी को अनेक महान राष्ट्रीय विभूतियों से आत्मीयता पूर्वक शुभकामनाएं और सराहना मिली हैं । डॉक्टर गंगानाथ झा, पंडित मदन मोहन मालवीय तथा राष्ट्रपति भवन में नौ दिन गीता प्रवचन शीर्षकों से इन विशिष्ट उपलब्धियों का पुस्तक में चित्रण हुआ है।
दिनेश जी की विविध कृतियों की संक्षिप्त रूपरेखा भी इस पुस्तक से प्राप्त की जा सकती है।
अंतिम समय शीर्षक से दिनेश जी के 1972 में आखिरी बार रामपुर आगमन का उल्लेख पुस्तक में मिलता है। रामपुर में दिनेश जी का अंतिम प्रवचन 1972 में हुआ था। यह पुस्तक के अंत में एक लेख के रूप में प्रकाशित हुआ है। जीवनी पुस्तक की प्रमाणिकता के लिए लेखक ने दिनेश जी की मृत्यु के उपरांत प्रकाशित दिनेश स्मृति ग्रंथ को अनेक स्थानों पर उद्धृत किया है।
दिनेश जी की मृत्यु को लगभग आधी सदी बीत चुकी है। उनकी मृत्यु के समाचार पर लेखक की यह टिप्पणी निश्चित ही सत्य है :- ” 18 अप्रैल 1974 की रात्रि को दिनेश जी की आत्मा यह नश्वर शरीर छोड़ कर देह-मुक्त हो गई। 19 अप्रैल की प्रातः रेडियो पर उनकी मृत्यु के समाचार ने उनके लाखों-करोड़ों प्रशंसकों को गहन शोक में डुबो दिया। फिर उन जैसा दूसरा नहीं हुआ।”