पुस्तकें ज्ञान का भंडार
खोलो ह्रदय के द्वार,
पुस्तकें ज्ञान का भंडार ।
खाली दिमाग शैतान का घर
व्यस्त रहो नित पुस्तक संग,
अंतर्मन में ज्योत जलेगी
छायेगा आनंद , हर्ष, उमंग ।
सोच बढ़ेगी, विचार बनेगा और बढ़ेगा व्यवहार ।
खोलों ह्रदय के द्वार
पुस्तकें ज्ञान का भंडार ।
पुस्तक ज्ञान की देवी है
विद्या का पावन रूप मनोहर,
बाइबिल, गीता , पुराण, कुरान
वेद, शास्त्र सब ज्ञान का सागर,
भक्ति पाओं, मुक्ति पाओं, तर जाओं संसार ।
खोलों ह्रदय के द्वार
पुस्तकें ज्ञान का भंडार ।
शिक्षा के पावन मंदिर में
पुस्तक देवी रूप है ,
हम सब है इनके पुजारी
माँ विद्या का रूप अनूप है ।
शुद्ध ह्रदय, निर्मल बुद्धि होगी जय – जयकार ।
खोलों ह्रदय के द्वार
पुस्तकें ज्ञान का भंडार ।
काम, क्रोध, मद, लोभ घटेगा
रोग, शोक, भय, क्षोभ मिटोगा,
शांति मिलेगी , भ्रांति मिटेगी
दंभ, द्वेष, पाखंड हटेगा ।
आत्मज्ञान और तत्व ज्ञान का होता है प्रसार ।
खोलों ह्रदय के द्वार ,
पुस्तकें ज्ञान का भंडार ।
कवि – सुनील नागर
खुजनेर ( राजगढ़) म. प्र.