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24 Feb 2019 · 1 min read

पुलवामा

ये भी तो हैं लाल किसी के
देते जो सीमा पर पहरा
हँसते हँसते जान गँवाते
प्यार वतन से इनका गहरा

भीग रहा रह रह कर मन है
कायर हत्यारा दुश्मन है
करता है ये वार पीठ पर
हमें काटना है लेकिन सर
रोष बड़ा जनता में भारी
हुआ प्रशासन क्यों कर बहरा

दूर हुई है माँ बेटे से
बहना रेशम के धागे से
छिन सिंदूर गया बीबी का
कंधा टूटा बाबूजी का
कहीं बिलखता भोला बचपन
जीवन लगता जैसे सहरा

आज तिरंगा फिर रोया है
वीर गोद में जो सोया है
कैसे लेकर घर को जाये
घरवालों से आंख मिलाये
लिपटा यूँ सैनिक के तन से
नहीं हवा से भी वो लहरा

नेताओं को कुर्सी प्यारी
करते तभी सियासत भारी
थाह नहीं अपनों की पाई
मात यहीं पर हमने खाई
सरहद पर वीरों के आगे
कभी नहीं है दुश्मन ठहरा

22-02-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 245 Views
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