पुलवामा के शहीद और नारद जी
पुलवामा के शहीद और नारद जी ————————-
‘स्वर्ग में आपातकालीन सभा बुलाई गई है । ब्रह्मा जी अपने सिंहासन पर विराजमान हैं। सभी देवी देवता अपने अपने सिंहासनों पर आरूढ़ हो चुके हैं। ब्रह्मा जी ने दरबार को संबोधित करते हुए कहा ‘देवियो और देवताओ, आप सभी के मन में मंथन चल रहा होगा कि आज अचानक यह सभा क्यों बुलाई गई है। नारद जी अपनी वाणी से आपको यहाँ बुलाने का मंतव्य बतायेंगे। नारद जी, सभी देवी देवता यहाँ आमंत्रित किये जाने का मंतव्य जानना चाहते हैं।’
नारद जी ने अपनी वीणा एक ओर रखी और ब्रह्मा जी सहित सभी देवी देवताओं का अभिवादन करते हुए बोले ‘जैसे कि आप सभी जानते हैं कि मैं आकाश, धरती और रसातल में भ्रमण करता रहता हूँ। धरती पर एक भारत देश है। इस भारत देश की चोटी पर धरती का एक स्वर्ग है जिसे भारतवासी कश्मीर कहते हैं। मैं भी इस धरती के स्वर्ग का अनेक बार विचरण कर चुका हूँ। पर अफसोस है कि पूर्व में यह सम्पूर्ण स्वर्ग था अर्थात् प्राकृतिक रूप से भी और यहाँ देव-तुल्य व्यवहार करने वाले मानव रहते थे पर अब वहां आतंक ने अपनी जड़ें फैलानी आरंभ कर दी हैं। खैर, जब मैं पृथ्वी पर होता हूँ तो मुझे उनके अनुसार विचरण और आचरण करना पड़ता है। पृथ्वी के कैलेंडर के अनुसार 14 फरवरी 2019 की घटना है। उस समय मैं भारत देश के कश्मीर में पुलवामा नामक स्थल पर विचरण कर रहा था। प्रकृति के खूबसूरत दृश्यों से भरपूर इस स्थल को निहार ही रहा था कि अचानक जोरदार भूकम्प सा आया ठीक वैसे जैसे मेघराज फट पड़े हों और सौदामिनी अट्ठहास कर रही हो। मैंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि भारत देश के वीर सेनानियों से भरे वाहन धीरे-धीरे अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे। अचानक राक्षसी ताकतों ने उन पर आग्नेयास्त्रों से आक्रमण कर दिया जिसमें चालीस से ऊपर भारतीय वीर शहीद हो गये। बहुत ही हृदय विदारक दृश्य था जिसे देखकर एकबारगी मैं भी काँप उठा। पर उन पाषाणहृदयों से किसी संवेदना की कल्पना करना असंभव था। भारतीय शहीदों के तो जैसे परिवार ही उजड़ गये।
मैं उन शहीदों के परिवारों से मिलने जा ही रहा था कि राह में मुझे यमराज जी भी मिले जो स्वयं दुःखी थे। उन्होंने मुझसे कहा ‘हे नारद मुनि! यह कैसा दृश्य है ? आज मुझे शहीदों के प्राण हरने आना पड़ा। मैं बहुत विचलित हूँ परन्तु मेरे पास इसके सिवाय और कोई चारा भी नहीं था। हाँ मैंने अपनी शक्ति का उपयोग कर ऐसी व्यवस्था की है जिससे कि ये सभी शहीद स्वर्णासन पर आरोहित होकर ससम्मान यहाँ लाये गये हैं। आज उन्हें भी देवताओं के समकक्ष स्थान दिया गया है जोकि एक बहुत ही उच्चकोटि के सम्मान का विषय है। अभी यह दुःख कम ही नहीं हुआ था कि कुछ और शहीदों को मुझे यहाँ लाना पड़ा। अब आप ही बताएं मैं क्या करूँ? अत्यन्त विकट स्थिति है।’
यह जानकर वहां उपस्थित सभी देवी देवताओं को बहुत बड़ा आघात लगा। यमराज जी ने बोलना जारी रखा ‘हे प्रभु, भारत के इन सभी वीरों के शरीर से निकली आत्माएँ प्रकाशपुँज के समान प्रतीत होती थीं, अलौकिक प्रकाश से आलोकित थीं, सूर्य के बराबर उनमें तेज था जो धरती का मानव सहन नहीं कर सकता था। ये सभी आत्माएँ पूर्ण सम्मान के योग्य हैं। इनके नाम अजर अमर रहेंगे और हमारे यहाँ स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेंगे। हे प्रभु, मेरी इच्छा है कि आज यहाँ उपस्थित देवगण और देवियाँ भी उनके नामों से परिचित हों और उन सभी पर अपनी कृपा करें, उनकी माताओं पर कृपा करें जिनकी कोख से वे जन्मे, उनके परिजनों पर कृपा करें जिन्हें छोड़ कर वे शहीद हुए। मेरे पास इन शहीदों के सांसारिक नामों की सूची है जिसे मैं पढ़ कर सुनाने की आज्ञा चाहता हूँ।’ यमराज ने अपनी बात समाप्त की।
‘हे यमराज! आज हम सभी को इन आत्माओं पर गर्व हो रहा है। जिन जिन शरीरों में इन आत्माओं ने जन्म लिया उन्होंने अपनी मातृभूमि के प्रति स्वयं को न्यौछावर कर अपनी माँ की कोख की लाज रख ली। मैं भी इन सभी पुण्य आत्माओं को प्रणाम करता हूँ और मेरा आदेश है कि इन सभी आत्माओं को विशेष स्थान दिया जाये और हे यमराज आप इनके सांसारिक नामों की घोषणा करें। मेरा सभी देवी-देवताओं से आग्रह है कि वे सभी को अपनी पुष्पांजलि दें।’ श्री ब्रह्माजी ने अपनी बात को समाप्त किया। यमराज ने विनम्रता से कहा ‘जो आज्ञा प्रभु, मुझे जो नाम ज्ञात हैं वे सभी मैं पढ़कर सुनाता हूँ और यदि कोई छूट गया है तो उसके लिए क्षमा चाहता हूँ। उन अज्ञात नामों को भी सभी देवी-देवताओं से पुष्पांजलि देने की विनती करता हूँ।’ इतना कहकर यमराज जी ने बोलना आरम्भ किया ’धरती के इन वीर सैनिकों के नाम उनके नियमों के अनुसार पढ़ रहा हूँ, यही उनके लिए सम्मान होगा ।’
76 बटालियन से जयमाल सिंह, नसीर अहमद, सुखविंदर सिंह, रोहिताश लांबा, तिलक राज, 45 बटालियन से भागीरथ सिंह, वीरेन्द्र सिंह, अवधेष कुमार यादव, रतन कुमार ठाकुर, सुरेन्द्र यादव, 3 बटालियन से नितिन सिंह राठौर, 176 बटालियन से संजय कुमार सिंह, समवकील, धरमचंद्रा, बेलकर ठाका, 115 बटालियन से श्याम बाबू, अजीत कुमार आजाद, प्रदीप सिंह, संजय राजपूत, कौशल कुमार रावत, 92 बटालियन से जीत राम, अमित कुमार, विजय कुमार मौर्या, कुलविंदर सिंह, 82 बटालियन से विजय सोरंग, वसंत कुमार वीवी, गुरु एच, शुभम अनिरंग, 75 बटालियन से अमर कुमार, अजय कुमार, मनिंदर सिंह, 61 बटालियन से रमेश यादव, परशान्त कुमार साहू, हेमराज मीना, 35 बटालियन से बबला शंत्रा, अश्वनी कुमार कोची, 21 बटालियन से प्रदीप कुमार, सुधीर कुमार बंशल, 98 बटालियन से रविंदर सिंह, एम बाशुमातारे, 118 बटालियन से महेश कुमार, एल एल गुलजार। 14 फरवरी 2019 की इस घटना के बाद अगले दिवस जो अन्य शहीद हुए हैं उनके नाम हैं मेजर विभूति ढौन्डियाल, मेजर चित्रांश बिष्ट। इन दोनों वीरों के शौर्य और पराक्रम पर सम्पूर्ण भारतवासियों को नाज़ है। इनके अतिरिक्त मैं सभी अज्ञात शूरवीरों को भी सम्मिलित करता हूँ’ कहकर यमराज जी ने वाणी को विराम दिया।
नारद जी ने कहना आरम्भ किया ‘मैं देख पा रहा हूँ कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में शोक की लहर दौड़ गई है, भारत के वीरों का रक्त उफन रहा है, जिन स्त्रियों के सुहाग उजड़े हैं उनमें अपने पुत्रों को भी भारतभूमि की रक्षा पर भेजने का साहस है, शहीदों की सन्तानें गर्व का अनुभव कर रही हैं, भारत देश के शासक ने शहीदों की परिक्रमा कर प्रतिज्ञा की है कि वे भारत भूमि को झुकने नहीं देंगे और आततायियों को नेस्तनाबूद कर देंगे। देश के शासक ने सैनिकों को आवश्यक कार्रवाई की पूर्ण स्वतन्त्रता दे दी है जो संभवतः पहली बार हुआ है। सैनिकों की वीरता क्या रंग लाती है यह देखने के लिए मैं फिर पृथ्वी भ्रमण पर जाता हूँ।’
स्वर्ग में पुनः 26 फरवरी 2019 को सभा हुई। नारद जी ने पृथ्वी से आकर समाचार दिया कि भारतदेश के उड़नखटोलों ने सीमा पार स्थित राक्षस आतंकियों की लंकाओं पर आक्रमण कर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया है। देश के शासक और दरबार के मंत्रियों ने उन्हें इस सफलता के लिए शाबासी दी है। शूरवीरों के इस पराक्रम से भारत देश की जनता में जोश है। यह बात भी उल्लेखनीय है कि भारत देश के वासी कभी भी युद्ध नहीं चाहते हैं पर यदि कोई उनकी तरफ आँख भी उठाएगा तो चुप नहीं बैठेंगे। मैंने इस दौरान शहीदों के परिवारों के बारे में भी खबर रखी। उनके साहस का तो कोई जवाब ही नहीं। मातृभूमि के प्रति वे पूर्ण रूप से समर्पित हैं। 27 और 28 फरवरी को मैं आकाश से निगाह रखूँगा। अब मैं आदरणीय ब्रह्मा जी से सभा समाप्ति की आज्ञा चाहता हूँ ।
‘आज 27 फरवरी की सभा में मुझे यह बताना है कि सीमा पार के देश में राक्षस आतंकियों की लंकाओं के दहन पर बिफरे उन्हें आश्रय देने वालों ने जवाबी कार्रवाई की है पर उन्हें मुंह की खानी पड़ी है। सत्य ही कहा है कि राक्षस का साथ देने वाला राक्षस से कम नहीं होता। हाँ, आज एक ऐसी घटना हुई जिसने भारत देश के वासियों को चिंतित कर दिया है। भारतदेश का एक वीर सपूत जिसका नाम विंग कमांडर अभिनन्दन है उसे राक्षसों को आश्रय देने वालों ने अपने कब्जे में कर लिया है। तहकीकात करने पर मालूम पड़ा है कि धरती पर स्थित जेनेवा में हुई एक संधि के अनुसार राक्षस आतंकियों को आश्रय देने वालों को अपने कब्जे में लिये गये अभिनन्दन को छोड़ना होगा तथा उसे किसी प्रकार की हानि भी नहीं पहुँचाई जा सकती। भारत देश वासियों की निगाहें टिकी हुई हैं कि कब उनके देश का लाल वापिस भारत देश भेजा जाता है। सीमा पार के शासक को सद्बुद्धि मिले जिससे कि वे अभिनन्दन को बिना नुकसान पहुंचाये ससम्मान अपने देश में जाने दें। यही उनके लिए उचित भी होगा। मैं आदरणीय ब्रह्मा जी से और अन्य सभी माननीय देवी देवताओं से अनुरोध करता हूं कि यदि आवश्यकता पड़ी तो हम सभी भारत देश वासियों के सहयोग के लिए अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करेंगे। इसी भीष्म प्रतिज्ञा के साथ आज की सभा समाप्ति की घोषणा करता हूं तथा आशा करता हूं कि विश्व में प्रेम और भाईचारे का सूर्य उदय होगा।