पुलवामा शहीद दिवस
आँखों से आँसू बहे, कलम रक्त की धार।
हुआ आज कश्मीर में, वीरों का संहार।। १
इंच – इंच ताबूत में, आया माँ का पूत।
भस्म करो आतंक को, बन जाओ यमदूत।। २
देख कलेजा फट गया, वीरों का यह हाल।
अंग-अंग बिखरे हुए, टूटे सब कंकाल।। ३
क्षत-विक्षत शव देखकर, गहन हृदय में पीर।
दुश्मन छाती फाड़ कर, पी लूँ रक्तिम नीर ।।४
शीश गिनोगे कब तलक,चेतो भरत कुमार।
घायल है माँ भारती, उतर रहा श्रृंगार।। ५
बिलख रही माँ भारती, धर लो रूप प्रचंड।
उठा रहा रिपु शीश फिर, देना होगा दंड।।६
पुलवामा काला दिवस, हुआ हृदय आघात।
रिपु का सीना चीर कर, बतला दो औकात।।७
मातृभूमि हित के लिए, बने रहे जो ढाल।
आज उसी जाबाज पर, आया कैसा काल।। ८
चोरी से हमला किया, कुटिल धूर्त मक्कार।
बैठे थे निश्चिंत जब, नहीं हाथ हथियार।। ९
वादी ए कश्मीर का, क्यों है ऐसा हाल।
आज स्वर्ग की यह धरा, हुई रक्त से लाल।। १०
केशर घाटी रो रही, कितना है बेहाल।
भारत भू ने खो दिया,अपना प्यारा लाल।।११
बँधा हाथ हर वीर का, पाँव पड़ा जंजीर।
सीना छलनी हो गया, घायल है कश्मीर।।१२
चीख-चीख कर कह रही, घाटी ए कश्मीर।
बिना लड़े ही खो दिए, हमने अपने वीर।।१३
मोदी जी कुछ तो करो, क्यों बैठे चुपचाप।
कल का रोना छोड़ दो, अभी करो कुछ आप।।१४
शांति दूत कब तक बने, हृदय करोगे चाक।
घर में घुसकर पाक के कर दो उसको खाक।।१५
देख सियासत पी रही, नित वीरों का रक्त।
बिना लड़े ही मर रहें ,वीर सिपाही भक्त।।१६
निर्मम हत्या देख कर, असहनीय है पीर।
दिया वीर चालीस खो, कैसै धर लूँ धीर।। १७
पाँच साल तक सो लिया, कुम्भकरण अब जाग।
बनो कृष्ण अब देश हित, कुचलो काला नाग।। १८
खोल दिया खुद मार्ग को, कर दो पूर्ण विराम।
अंतिम पन्ना हम लिखें, हो भीषण संग्राम।।१९
मोदी जी अब दीजिए, सेना को आदेश।
धोना है रिपु रक्त से पांचाली का केश।।२०
कभी व्यर्थ जाये नहीं, वीरों का बलिदान।
बदला लें हर बूंद का,है दिल में अरमान।।२१
-लक्ष्मी सिंह