“पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
“पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
इतराती,लालिमा बिखेरती साँझ, तू भी चल अपने चर l
घर पर तेरी कोई राह निहार रहा है ,
अब हौले हौले ही सही ,खोल परिंदे तू अपने पर l
“नीरज कुमार सोनी”
जय श्री महाकाल 🕉️
“पुरे दिन का सफर कर ,रवि चला अपने घर ,
इतराती,लालिमा बिखेरती साँझ, तू भी चल अपने चर l
घर पर तेरी कोई राह निहार रहा है ,
अब हौले हौले ही सही ,खोल परिंदे तू अपने पर l
“नीरज कुमार सोनी”
जय श्री महाकाल 🕉️