पुरुष का दर्द
पुरुष का दर्द
औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं
औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं
औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं
पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं
पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता उसके संघर्ष को नहीं देखता
आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें