पुराने खत
#पुराने खत#
जाने कहाँ गए
वो पुराने खत
जिनमें होता था
प्यार,
अपनापन,
स्नेह मे लिपटे हुए सुन्दर शब्द,
करुणा,
प्रेम,
और भी बहुत कुछ….
जब भीनी सी खुशबू साथ लिए आता था एक खत दूर धरती के छोर पर पहरा देते हुए प्यारे भाई का अपनी प्यारी बहना के लिए
अपना सारा प्यार उड़ेल देता था उन लिखे गए चंद अल्फाजों में
और लिखना की-बस जल्दी ही आने वाला हूँ.
अपने माँ-बाप को झूठी दिलासा देना की दोस्त कहते हैं मैं बहुत ही मोटा हो गया हूँ
जैसे ही ख़त खोलकर पढ़वाया जाता था बेचारी पत्नी भी किबाड़ों की ओट में छिपकर सुनने लग जाती
मेरे लिए क्या लिखा है उन्होंने ??? और सुनते ही आँखों में प्यार के मोतियों का आ जाना
कितना प्यारा लगता था जब डाकिया बाबू चिल्लाकर कहते थे
अरे सुनो तुम्हारा ख़त आया है
डाकिया भी अपना रिश्तेदार लगने लगता था रोज़ की जान पहचान के बीच
लेकिन अब नई पीढ़ी में सब कुछ बदल गया
प्रेम इजहार का भाव भी,
लोगों के मधुर संबंधों का मतलब भी,
आत्मीयता,
नियति,
यहाँ तक की लोगों की फितरत भी,
अब सब घर बैठे ही हो जाता है किसी दूसरे व्यक्ति से मदद की आवश्यक्ता ही नहीं पड़ती
क्योंकि अब “इन्टरनेट” ज़ो आ गया है।
योगेन्द्र योगी
कानपुर—-
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