पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
अब कुछ नया करने की सोचें!
भद्रजन शून्य से ऊपर उठकर,
प्राप्य उच्चतम बिंदु को छू लें!
….अजित कर्ण ✍️
पुरानी वैमनस्यता को भूलकर,
अब कुछ नया करने की सोचें!
भद्रजन शून्य से ऊपर उठकर,
प्राप्य उच्चतम बिंदु को छू लें!
….अजित कर्ण ✍️