पुरानी बातें
सुनो,
आज दिन में काम से फ्री हो कर बैठा था और घूमने वाली कुर्सी पर घूम रहा था, तो घूमते घूमते ख़्याल आया क्यों न अपनी पुरानी चैट्स में घूमा जाए।
मैंने डिलीट नहीं किया है कुछ भी सब संभाल के रखा है, तुम्हारे मैसेज, तुम्हारे फोटोज़, तुम्हारे डॉक्यूमेंट सब संभाल रखा है, क्या पता कब किस चीज़ की ज़रूरत पड़ जाए।
पहले पहले तो नीचे से ऊपर जाने में ही काफ़ी समय लगा, तुम एक बार में इतने मैसेज जो भेज देते थे तो काफ़ी लम्बी चैट्स जो है अपनी।
अब ऊपर से शुरू करते हैं, शुरू से शुरू करने का भी एक अलग सुकून हैं। तुम्हारे मैसेज पापा के फ़ोन से भाई के फ़ोन से टेक्स्ट मैसेज सब संभाल रखे हैं।
आज मैसेज पड़े सारे फ्री था तो, कितनी सारी बातें करते थे यार हम….तुम रूठ जाती थी तो मैं तुम्हे मनाने के लिए क्या क्या करता था मैंने फ़ोन पर बात करते हुऐ भी तुम्हें मनाने के लिए सच में उठक-बैठक लगाई हैं और जहाँ तक याद है मैं मुश्किल से एक-दो बार रूठा होऊँगा है न?पढ़ते हुए भी बतियाते थे इसलिए कि कोई सो न जाये….और जब तुम्हें जगाना होता था तो मैं खुद नहीं सोता था….सोता आज भी नहीं हूँ बस फ़र्क इतना है कि पहले सोता नहीं था और अब नींद नहीं आती।
हमारे बीच कितनी बार गलतफहमियां आई, और उनके चलते हमने कई दिनों तक एक दूसरे से बात तक नहीं…और कुछ दिनों बाद फ़िर से वही….और सच बताऊं बुरा मत लगाना अगर तुम पढ़ रहे हो तो…कितना बोलते थे यार तुम…मुझे बोलने का मौका ही नही मिलता था बाप-रे-बाप…कभी कभी जब रात को परेशान होता हूँ और आँखे बंद कर लेता हूँ तो तुम्हारी आवाज़ कानों में गूंजती हैं और कभी तुम्हें सुनने का मन होता है तो तुम्हारी एक रिकॉर्डिंग है उसे सुन लेता हूँ।
कभी कभी मम्मी भी पूछ लेती हैं अब तो उससे बात नहीं हुई….और मैं हँसी के साथ बात टाल देता हूँ।
तुमने कितना कुछ बताया हैं और मैनें कितना कुछ सुना है, कितनी सारी बातें की हैं कभी कभी तो सुबह हो जाती थी। एक बार का याद है मुझे हम दोनों बात करते करते सो गए थे और कॉल चालू था….वो टाइम लिमिट 2 घण्टे की पूरी होने पर कट हो गया जोग शायद। मेरी सुबह तुम्हारे फ़ोन आने के बाद होती थी मैं नींद का शौकीन जो हूँ और सोता भी तुम्हारे फ़ोन आने बाद ही था….हाँ कई बार तुम्हारे फ़ोन आने के इंतज़ार में ज़रूर सो जाता था।
अच्छा एक चीज़ अपने फ़ोन से पुराने डाक्यूमेंट्स डिलीट कर रहा था उसमें तुम्हारे कॉलेज एडमिशन के लिए जो मूलनिवासी बनवाया था वो मिला….संभाल कर रखा है ज़रूरत पड़े तो बताना।
और फ़िर एक दिन आया जब तुम मेरे सीधे और सरल सवाल पर भड़क उठे…मेरी तो तुमने सुनी ही नहीं या सुनना नहीं चाहा लेकिन तुम जब जब मुझे कुछ बताना या सुनाना चाहा हर बार सुना है…और सुनूँ भी क्यूँ न…अरे भई हमारी तुमको सुनने की आदत जो हैं।
बातें और भी हैं, बताएंगे फ़िर कभी और हैं ये बातें याद करने के बाद नींद गज़ब की आई….नींद का शौक़ीन जो हूँये बातें याद करने के बाद नींद गज़ब की आई….नींद का शौक़ीन जो हूँ.