पुनर्मिलन
रात के समय जब सारा गांव सो जाता था, तो यह घर छोटे-छोटे दीयों की रोशनी से जगमगा उठता। तीनों भाई – राजू, रमेश, और सुनील – अपने मां-बाप के लाड़ले थे। मां-बाप के लिए उनके बेटे ही दुनिया थे, और बेटों के लिए उनके माता-पिता।
लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। एक तूफानी रात थी, जब आसमान में बिजली कड़क रही थी, और बारिश की बूंदें धरती को बींध रही थीं। उसी रात एक दुर्घटना में उनके माता-पिता का निधन हो गया।
राजू, जो सबसे बड़ा था, तब सिर्फ 12 साल का था। रमेश 10 का और सुनील सिर्फ 7 साल का था। उस रात जब उनके माता-पिता का शव घर में आया, तो तीनों भाई एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे। उन्होंने अपनी मां के पल्लू को पकड़कर रोते हुए कहा, “मां, अब हम कैसे जीएंगे?”राजू ने अपने छोटे भाइयों को गले लगाते हुए कहा, “हम एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे। हम कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होंगे, यही मां-बापू के लिए हमारा वादा है।“
उस दिन से तीनों भाई एक-दूसरे का सहारा बन गए। बड़े भाई राजू ने घर की जिम्मेदारी संभाली, रमेश ने खेती का काम सीखा, और सुनील ने स्कूल जाना जारी रखा। घर में चाहे जितनी भी कठिनाइयां आईं, तीनों भाइयों ने कभी हार नहीं मानी। जब भी कोई समस्या आती, तीनों साथ बैठकर हल निकालते।
राजू अक्सर अपने भाइयों से कहता, “हम तीनों एक डोर से बंधे हुए हैं। अगर हम अलग हुए तो यह डोर टूट जाएगी। हमें हमेशा एक साथ रहना है।“
समय बीतता गया और तीनों भाई जवान हो गए। राजू की शादी गांव की ही एक लड़की सीमा से कर दी गई। सीमा बहुत ही सुंदर और सुलझी हुई लड़की थी। लेकिन उसकी शादी के बाद घर में थोड़ा बदलाव आ गया। अब वह घर की सबसे बड़ी बहू बन गई थी और उसे अपने तरीके से घर संभालने की आदत थी।
रमेश और सुनील ने भी कुछ समय बाद अपनी-अपनी शादी कर ली। रमेश की पत्नी लक्ष्मी थोड़ी तेज-तर्रार थी और उसे सीमा के घर चलाने के तरीके से परेशानी होने लगी। सुनील की पत्नी अंजली भी अपने मनमुताबिक चीजें करना चाहती थी। धीरे-धीरे घर में छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगा।
राजू को इन झगड़ों से बहुत तकलीफ होती थी। वह अपने भाइयों के साथ बचपन का प्यार और वादा याद करता, लेकिन वह भी इन झगड़ों को सुलझाने में असफल रहता।
रमेश की पत्नी लक्ष्मी ने एक दिन गुस्से में कहा, “हम हमेशा बड़े भैया के कहे अनुसार क्यों चलें? क्या हमारा कोई अस्तित्व नहीं है? हमें अलग होकर अपना घर बसाना चाहिए।“
सुनील की पत्नी अंजली ने भी उसका साथ दिया, “हां, हम सभी अलग-अलग रहें तो बेहतर होगा।“
यह सुनकर राजू का दिल टूट गया। उसने अपने भाइयों से कहा, “क्या तुम लोग मां-बापू के साथ किया वादा भूल गए? हमने कसम खाई थी कि हम कभी अलग नहीं होंगे।“
लेकिन गृह क्लेश और औरतों के दखल के कारण तीनों भाईयों में दरार आ गई। अंत में रमेश और सुनील ने राजू का घर छोड़ दिया और अपने-अपने परिवारों के साथ अलग रहने लगे।
अलग होने के बाद तीनों भाईयों की जिंदगी में मुश्किलें और बढ़ गईं। रमेश की फसलें लगातार खराब होने लगीं, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। सुनील का कारोबार डूब गया और वह कर्ज में डूब गया। राजू के घर में भी शांति नहीं रही, वह अकेला रह गया था।
एक दिन रमेश और सुनील की मुलाकात गांव के मेले में हुई। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और उनकी आंखों में आंसू आ गए। रमेश ने सुनील से कहा, “भैया, हमें एक होना चाहिए था। हम तीनों भाईयों ने जो वादा किया था, उसे हमने तोड़ दिया। इसी का नतीजा है कि हम सब मुश्किलों में हैं।“
सुनील ने भी अपने आंसू पोंछते हुए कहा, “हां, भैया। हमसे गलती हो गई। चलो, राजू भैया के पास चलें और उनसे माफी मांगें। हमें फिर से एक होना होगा।“
रमेश और सुनील दोनों अपने परिवारों के साथ राजू के घर पहुंचे। राजू अपने भाइयों को देखकर भावुक हो गया। उसने उन्हें गले लगाते हुए कहा, “तुम लोग वापस आ गए? मुझे तो लगा था कि तुम मुझसे हमेशा के लिए दूर हो गए हो।“ रमेश ने कहा, “भैया, हमसे गलती हो गई थी। हम कभी नहीं समझ पाए कि परिवार की असली ताकत एकता में होती है।“
सुनील ने कहा, “भैया, हम तीनों एक डोर से बंधे हैं, और अगर हम अलग हुए तो वह डोर टूट जाएगी। अब हम कभी अलग नहीं होंगे।“
यह सुनकर राजू की आंखों में आंसू आ गए। उसने अपने भाइयों से कहा, “हम तीनों ने मां-बापू से जो वादा किया था, उसे हम फिर से निभाएंगे। हमें कोई ताकत अलग नहीं कर सकती।“
इस तरह तीनों भाई फिर से एक हो गए और उनके घर में फिर से खुशियां लौट आईं। घर में फिर से वही प्यार, वही अपनापन लौट आया, जो उनके बचपन में हुआ करता था। तीनों भाईयों ने अपनी-अपनी पत्नियों को भी समझाया कि परिवार की असली ताकत एकता में है। सभी ने मिलकर नए सिरे से एक खुशहाल जीवन की शुरुआत की। वह पुराना घर, जो कभी टूटने के कगार पर था, फिर से हंसी-खुशी से भर गया।
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