Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 4 min read

पुनर्मिलन

रात के समय जब सारा गांव सो जाता था, तो यह घर छोटे-छोटे दीयों की रोशनी से जगमगा उठता। तीनों भाई – राजू, रमेश, और सुनील – अपने मां-बाप के लाड़ले थे। मां-बाप के लिए उनके बेटे ही दुनिया थे, और बेटों के लिए उनके माता-पिता।
लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। एक तूफानी रात थी, जब आसमान में बिजली कड़क रही थी, और बारिश की बूंदें धरती को बींध रही थीं। उसी रात एक दुर्घटना में उनके माता-पिता का निधन हो गया।
राजू, जो सबसे बड़ा था, तब सिर्फ 12 साल का था। रमेश 10 का और सुनील सिर्फ 7 साल का था। उस रात जब उनके माता-पिता का शव घर में आया, तो तीनों भाई एक-दूसरे से लिपटकर रोने लगे। उन्होंने अपनी मां के पल्लू को पकड़कर रोते हुए कहा, “मां, अब हम कैसे जीएंगे?”राजू ने अपने छोटे भाइयों को गले लगाते हुए कहा, “हम एक-दूसरे का ख्याल रखेंगे। हम कभी एक-दूसरे से अलग नहीं होंगे, यही मां-बापू के लिए हमारा वादा है।“
उस दिन से तीनों भाई एक-दूसरे का सहारा बन गए। बड़े भाई राजू ने घर की जिम्मेदारी संभाली, रमेश ने खेती का काम सीखा, और सुनील ने स्कूल जाना जारी रखा। घर में चाहे जितनी भी कठिनाइयां आईं, तीनों भाइयों ने कभी हार नहीं मानी। जब भी कोई समस्या आती, तीनों साथ बैठकर हल निकालते।
राजू अक्सर अपने भाइयों से कहता, “हम तीनों एक डोर से बंधे हुए हैं। अगर हम अलग हुए तो यह डोर टूट जाएगी। हमें हमेशा एक साथ रहना है।“
समय बीतता गया और तीनों भाई जवान हो गए। राजू की शादी गांव की ही एक लड़की सीमा से कर दी गई। सीमा बहुत ही सुंदर और सुलझी हुई लड़की थी। लेकिन उसकी शादी के बाद घर में थोड़ा बदलाव आ गया। अब वह घर की सबसे बड़ी बहू बन गई थी और उसे अपने तरीके से घर संभालने की आदत थी।
रमेश और सुनील ने भी कुछ समय बाद अपनी-अपनी शादी कर ली। रमेश की पत्नी लक्ष्मी थोड़ी तेज-तर्रार थी और उसे सीमा के घर चलाने के तरीके से परेशानी होने लगी। सुनील की पत्नी अंजली भी अपने मनमुताबिक चीजें करना चाहती थी। धीरे-धीरे घर में छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगा।
राजू को इन झगड़ों से बहुत तकलीफ होती थी। वह अपने भाइयों के साथ बचपन का प्यार और वादा याद करता, लेकिन वह भी इन झगड़ों को सुलझाने में असफल रहता।
रमेश की पत्नी लक्ष्मी ने एक दिन गुस्से में कहा, “हम हमेशा बड़े भैया के कहे अनुसार क्यों चलें? क्या हमारा कोई अस्तित्व नहीं है? हमें अलग होकर अपना घर बसाना चाहिए।“
सुनील की पत्नी अंजली ने भी उसका साथ दिया, “हां, हम सभी अलग-अलग रहें तो बेहतर होगा।“
यह सुनकर राजू का दिल टूट गया। उसने अपने भाइयों से कहा, “क्या तुम लोग मां-बापू के साथ किया वादा भूल गए? हमने कसम खाई थी कि हम कभी अलग नहीं होंगे।“
लेकिन गृह क्लेश और औरतों के दखल के कारण तीनों भाईयों में दरार आ गई। अंत में रमेश और सुनील ने राजू का घर छोड़ दिया और अपने-अपने परिवारों के साथ अलग रहने लगे।
अलग होने के बाद तीनों भाईयों की जिंदगी में मुश्किलें और बढ़ गईं। रमेश की फसलें लगातार खराब होने लगीं, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। सुनील का कारोबार डूब गया और वह कर्ज में डूब गया। राजू के घर में भी शांति नहीं रही, वह अकेला रह गया था।
एक दिन रमेश और सुनील की मुलाकात गांव के मेले में हुई। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और उनकी आंखों में आंसू आ गए। रमेश ने सुनील से कहा, “भैया, हमें एक होना चाहिए था। हम तीनों भाईयों ने जो वादा किया था, उसे हमने तोड़ दिया। इसी का नतीजा है कि हम सब मुश्किलों में हैं।“
सुनील ने भी अपने आंसू पोंछते हुए कहा, “हां, भैया। हमसे गलती हो गई। चलो, राजू भैया के पास चलें और उनसे माफी मांगें। हमें फिर से एक होना होगा।“
रमेश और सुनील दोनों अपने परिवारों के साथ राजू के घर पहुंचे। राजू अपने भाइयों को देखकर भावुक हो गया। उसने उन्हें गले लगाते हुए कहा, “तुम लोग वापस आ गए? मुझे तो लगा था कि तुम मुझसे हमेशा के लिए दूर हो गए हो।“ रमेश ने कहा, “भैया, हमसे गलती हो गई थी। हम कभी नहीं समझ पाए कि परिवार की असली ताकत एकता में होती है।“
सुनील ने कहा, “भैया, हम तीनों एक डोर से बंधे हैं, और अगर हम अलग हुए तो वह डोर टूट जाएगी। अब हम कभी अलग नहीं होंगे।“
यह सुनकर राजू की आंखों में आंसू आ गए। उसने अपने भाइयों से कहा, “हम तीनों ने मां-बापू से जो वादा किया था, उसे हम फिर से निभाएंगे। हमें कोई ताकत अलग नहीं कर सकती।“
इस तरह तीनों भाई फिर से एक हो गए और उनके घर में फिर से खुशियां लौट आईं। घर में फिर से वही प्यार, वही अपनापन लौट आया, जो उनके बचपन में हुआ करता था। तीनों भाईयों ने अपनी-अपनी पत्नियों को भी समझाया कि परिवार की असली ताकत एकता में है। सभी ने मिलकर नए सिरे से एक खुशहाल जीवन की शुरुआत की। वह पुराना घर, जो कभी टूटने के कगार पर था, फिर से हंसी-खुशी से भर गया।

*****

Language: Hindi
25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
--शेखर सिंह
--शेखर सिंह
शेखर सिंह
We can rock together!!
We can rock together!!
Rachana
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
हिन्दी दोहा-विश्वास
हिन्दी दोहा-विश्वास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
मैं उनके सँग में यदि रहता नहीं
gurudeenverma198
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
पूर्वार्थ
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
तुम्हे देख कर ही ऐसा महसूस होता है
Ranjeet kumar patre
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
जन्म हाथ नहीं, मृत्यु ज्ञात नहीं।
Sanjay ' शून्य'
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
कुछ मासूम स्त्रियाँ!
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
भोर होने से पहले .....
भोर होने से पहले .....
sushil sarna
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
सब डरें इंसाफ से अब, कौन सच्चाई कहेगा।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विश्वकप-2023 टॉप स्टोरी
विश्वकप-2023 टॉप स्टोरी
World Cup-2023 Top story (विश्वकप-2023, भारत)
माना   कि  बल   बहुत  है
माना कि बल बहुत है
Paras Nath Jha
चमक..... जिंदगी
चमक..... जिंदगी
Neeraj Agarwal
वर्तमान
वर्तमान
Kshma Urmila
*एक सीध में चलता जीवन, सोचो यह किसने पाया है (राधेश्यामी छंद
*एक सीध में चलता जीवन, सोचो यह किसने पाया है (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
3531.🌷 *पूर्णिका*🌷
3531.🌷 *पूर्णिका*🌷
Dr.Khedu Bharti
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
बुढ़िया काकी बन गई है स्टार
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
वो अनजाना शहर
वो अनजाना शहर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
एक इत्तफाक ही तो था
एक इत्तफाक ही तो था
हिमांशु Kulshrestha
■ सबसे ज़रूरी।
■ सबसे ज़रूरी।
*प्रणय प्रभात*
'कांतिपति' की कुंडलियां
'कांतिपति' की कुंडलियां
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
प्रकृति
प्रकृति
Bodhisatva kastooriya
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
भ्रष्टाचार ने बदल डाला
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
राही साथ चलते हैं 🙏
राही साथ चलते हैं 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हार भी स्वीकार हो
हार भी स्वीकार हो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...