पुण्य स्मरण: 18 जून2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक सम
पुण्य स्मरण: 18 जून2008 को मुरादाबाद में आयोजित पारिवारिक समारोह में पढ़े गये दो गीत
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(1)
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परम-पूजनीय नानाजी श्री राधेलाल अग्रवाल सर्राफ ( 18 जून 1908 — 18 जून 2008 )
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घर के मुखिया पुण्य प्रणाम
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सौ-सौ नमन आपको घर के मुखिया पुण्य प्रणाम
जून अठारह सौ बरसों पहले जो शुभ आई थी
तपती हुई दुपहरी में तब शीतलता छाई थी
एक ज्योति को अन्धकार में उगते सबने देखा
खिंची कसौटी पर सुन्दर सोने की हो ज्यों रेखा
मिला आपसे निर्मलता का जग को नव-आयाम
सौ-सौ नमन आपको घर के मुखिया पुण्य प्रणाम
सात्विक जीवन जिया ,सादगी की पहचान बनाई
स्वाभिमान से भरे मान की रक्षा-रीति सिखाई
कभी न बोलो झूठ ,सत्य के पथ पर चलते जाना
रहो दूर छल-कपट भाव से सबको था बतलाना
याद आ रहा जीवन जो था शिव सुन्दर निष्काम
सौ-सौ नमन आपको घर के मुखिया पुण्य प्रणाम
जीवन जिया नेह से भरकर सबको नेह लुटाया
सबको निज समझा कुटम्ब का कोई नहीं पराया
भरी हुई आत्मीय भावना से सुन्दर मति पाई
वही संत है ,नहीं हृदय में जिसके कटुता आई
धन्य आपकी साधु-भावना मंगलमय अविराम
सौ-सौ नमन आपको घर के मुखिया पुण्य प्रणाम
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दिनांक 18 जून 2008
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451
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(2)
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जन्मशती समारोह
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परम पूजनीय नानाजी श्री राधे लाल अग्रवाल सर्राफ (मुरादाबाद)
( 18 जून 1908 – 18 जून 2008 )
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जन्म-शती पर नाना जी को नमस्कार शत बार है
कर्मवीर थे व्यापारी थे जिनकी अपनी शान थी
दूर-दूर तक उज्जवल छवि ही की जिनकी पहचान थी
सबसे मीठा सिर्फ बोलना जिनका शुभ्र स्वभाव था
कटुता का छल-कपट भाव का जिनमें रहा अभाव था
रहा सभी से जिनका जीवन भर निर्मल व्यवहार है
जन्म शती पर नाना जी को नमस्कार शत बार है
आज आ रहे याद हमें वह दिन नानी घर जाते
गर्मी में छुट्टी के कुछ दिन हिलमिल जहाँ बिताते
हम बच्चे जो चीज मॉंगते हमको वही दिलाते
चाट-पकौड़ी खट्टा-मीठा भर-भर हमें खिलाते
उनकी ममता और नेह को बार-बार आभार है
जन्म शती पर नाना जी को नमस्कार शत बार है
शहद घुला था बातों में,हॅंसते ही केवल देखा
कभी न त्यौरी चढ़ी रोष की खिंचती कोई रेखा
कभी खिलौने देते भर-भर ,कभी मिठाई लाते
लगता जैसे अलादीन का दिया पास रख जाते
नाना जी का अर्थ स्वयं में कल्पवृक्ष साकार है
जन्म-शती पर नाना जी को नमस्कार शत बार है
याद आ रहे विष्णु-मामा याद आ रहीं नानी
याद आ रही चुन्नी-जीजी की सुधीर की वाणी
याद आ रहे वे दिन जब चिड़ियॉं गाना गाती थीं
नाना जी से सदा प्यार में नानी बढ़ जाती थीं
रोज बिछुड़ने का मिलने का मतलब यह संसार है
जन्म शती पर नाना जी को नमस्कार शत बार है
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दिनांक 18 जून 2008
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451