पी रहे ग़म के जाम आदमी
पी रहे ग़म के जाम आदमी
हैं सुखों के ग़ुलाम आदमी
दर्द हद से गुज़रने को है अब
सिसकते हैं तमाम आदमी
—महावीर उत्तरांचली
पी रहे ग़म के जाम आदमी
हैं सुखों के ग़ुलाम आदमी
दर्द हद से गुज़रने को है अब
सिसकते हैं तमाम आदमी
—महावीर उत्तरांचली