पीड़ा धरती की भला,क्या समझेगा नीर
पीड़ा धरती की भला ,क्या समझेगा नीर !
उसकी तो स्वछंद नित, बहना है तासीर ।।
रखा बनाकर देश को,सदा जिन्होंने दीन !
आये नजर तलाशते, अपनी पुनः जमीन !!
रमेश शर्मा
पीड़ा धरती की भला ,क्या समझेगा नीर !
उसकी तो स्वछंद नित, बहना है तासीर ।।
रखा बनाकर देश को,सदा जिन्होंने दीन !
आये नजर तलाशते, अपनी पुनः जमीन !!
रमेश शर्मा