पीड़ा का गायक हूँ,
मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ,
रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ ।
तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का,
मन रंजन को देने वाला, भावों का दायक हूँ ।
दीपक चौबे ‘अंजान’
मैं अपने अंतर्मन की, पीड़ा का गायक हूँ,
रंगमंच पर थिरक रहा, जन-मन का नायक हूँ ।
तुम्हें वेदना से क्या लेना, नशा है दौलत का,
मन रंजन को देने वाला, भावों का दायक हूँ ।
दीपक चौबे ‘अंजान’