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9 Jan 2021 · 1 min read

पिया साथ इतराय

पीत बसन देह पर , पिया साथ इतराय
गौर्ण अधरों रची जो , लाली अतिक सुहाय

सजे नैन जो अंजन से , देख घटा अब छाय
आतुर प्रेयस मिलन को,हिया से जियमिलाय

सोहे लम्बे केश कटि जो, गगन बीच हो मेघ
प्रसून गजरा केश में , दिखे केश में सेंघ

श्वेत दन्त की पंक्ति कर , रही पंक्षी सा खेल
आभा लगती देख जो , घन से घन का मेल

गोरी की दुति छवै जो,भाव गढे आकार
सौन्दर्य नख शीश तक ,कविता हो साकार

Language: Hindi
75 Likes · 438 Views
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