मिलन की आस
अपने प्रिय की आस में, बैठी रही निढाल।
प्रियतम को जब पा लिया, गोरी हुई निहाल।।
गोरी हुई निहाल, कुछ भी नहि अब सुहाता।
पूर्ण हुई कामना, खुश है भाग्य विधाता ।।
कह अरशद कविराय, हम भी देखते सपने।
रहें पिया के पास, वह भी पास हो अपने।।
© अरशद रसूल