पितृ पक्ष
पितृ पक्ष (दोहे)
पितरों के सम्मान से,होता है उत्थान।
उनकी बातें गुन सदा,सदा बढ़ाना ज्ञान।।
एक वर्ष में पंच दस,दिवस पितृ का पक्ष।
इन्हीं दिनों में पूज लो,बनो आत्म का रक्ष।।
पूर्वज के आदर्श में,सुरभित निर्मल भाव।
मिलता रहता रात-दिन,शीतल मोहक छांव।।
पितरों के आशीष से,मिलते हैं फल चार।
धर्म अर्थ कामादि ही,देते शुद्ध विचार।।
पूर्वज की ही राह पर,जो चलता है नित्य।
अनुदिन बढ़ता वह रहे,धरा -धाम पर स्तुत्य।।
काव्य रत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।