पिता
शहर की प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करने का सपना जो गौतम ने बचपन में देखा था आज वह पूर्ण होने वाला है । क्यूंकि स्कूल प्रबंधन द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में गौतम ने सफलता जो हासिल कर ली थी । सभी आवश्यक दस्तावेज तैयार कर लिए गए, अन्य आवश्यक सामग्रियां भी ले लिए गए जो छात्रवास में दैनिक उपयोग में काम आते है ।
तैयार होकर गौतम और उसके पिता स्कूल प्रांगण में पहुंचे, स्कूल बड़ा आलीशान और अनुशासित दिखाई दे रहा था । एडमिशन काउंटर में सभी कागजात चेक किए गए सब ठीक ठाक था । परन्तु स्कूल की पॉलिसी थी कि एडमिशन फीस जमा होने के पंद्रह दिवस के अन्दर कार्यालय में अतिरिक्त विविध मद में राशि जमा कराना अनिवार्य था । पिताजी के पास अब इतने भी रुपए भी नहीं बचे थे कि वह कार्यालय में जमा कर पाए ।
आखरी दो दिन ही शेष बचे थे कि स्कूल प्रबंधन की ओर से एक पत्र गौतम के घर आया जिसमें उल्लेख था कि “प्रिय पालक कृपया आप विविध मद की राशि जमा कीजिए अथवा आपके पुत्र का नाम विद्यालय से काट दिया जाएगा ।”
अगली सुबह गौतम के पिताजी रूपयो का बंदोबस्त करके सुबह ही स्कूल पहुंचकर वह राशि जमा कर दी । जब गौतम को पता चला कि पिताजी आए है तो वह कक्षा से निकलकर पिताजी से मिलने पहुंच गया । परन्तु उसने देखा कि पिताजी आज पैदल ही आए है । साथ में उनकी बाइक नहीं दिख रही थी। तब पिताजी ने कहा कि बेटा मेरी बाइक से ज्यादा जरूरी तुम्हारा एडमिशन करना था इसलिए मैने तुम्हारे फीस के रूपयो के बदले में बाईक बेच दी है । जब तुम पढ़ाई करके बड़ा अफसर बन जाओगे न तो तुम मुझे नई बाइक खरीद के दे देना । पिताजी ने मजाकिया अंदाज में कह दिया। गौतम ने भी पिताजी को विश्वास दिलाया कि, जरूर पिताजी मैं अब अच्छे से पढ़ाई करूंगा और मेहनत करके बड़ा आदमी जरूर बनूंगा आपका ये संघर्ष बिल्कुल व्यर्थ नहीं जाने दूंगा।