पिता
माँ के बारे मे जब भी लिखो ज्यादा सोचना नही पड़ता पर जब बात आती हैं पिता की तो दिमाग मे मानो कुछ खामोशी छा जाती हैं और ऐसा हम सबके साथ होता हैं तो जाहिर हैं मेरी कहानी भी सबके जैसे ही हैं ….
मेरी मम्मी और पापा दोनो ही सरकारी नौकरी मे थे तो हम मम्मी के साथ रहते ज्यादा वक़्त और पापा तीन से चार दिन मे आते थे जब मे करीब 7 साल की ही थी पापा जब भी आते कुछ न कुछ लेकर ही आते थे ज्यादातर फल,मेवे क्यूकी उनसे सेहत बनती हैं l
मेरे पापा के पास एक स्कूटर था जिस पर वो हम चारो भाई बहनो को घुमाते थे….
जब मेने छटवी कक्षा मे पहला स्थान पाया था तो पापा ने मेरे जन्मदिन पर मुझे घड़ी दी थी और वो घड़ी मेरी पास काफी वक़्त तक भी रही
मेरे पापा मुझे हमेशा से एक बात बोलते थे तब भी और आज भी की मैं पढाई मे अच्छी हूँ बस मेहनत नही करती….
जब मेरा 10th board था तो पापा एक कटोरी घी मे ढेर सारी शक्कर डालकर खाने को देते वो भी घर से निकलते वक़्त 👍बोलते ये खाने से दिमाग अच्छा चलता हैं और मम्मी कहती थी की उसको प्यास लगेगी…पर पापा कहा मानते थे तो घी शक्कर ही खाना पड़ता था और ये उनका आशीर्वाद ही था l
जब मेरी 12th board थी तो मम्मी जिस विषय की मैडम थी जिस दिन वो पेपर था मम्मी ने साफ बोल दिया था की चाहे रात भर पढना पढ़े पर पूरा syllabus बन ना चाहिए तब मेरे पापा ने रात मे मुझे ग्लूकोज बना कर दिया और कभी चाय भी बनी l
एक बार पापा मुझे लेकर कोटा गए कोचिग करवाने मेरे मार्क्स अच्छे थे पर कुछ कम थे तो वहां मुझे admission नही मिला मेरे पापा ने बहुत बोला लेकिन वो लोग नही माने तब मेने मन मे सोच लिया था की मैं कोटा कभी नही आने वालीl
जब मैं भोपाल मे थी तब पापा जब भी मिलने आते तो डब्बा भरके घी लाते और बोलते अगली बार तक सारा खत्म कर देना और हमारे मेस वाले अंकल की तो परेड ले लेते कहते ये क्या इतने मोटे चावल खिला रहे ? रोटी पापड जैसी क्यो ? दाल मे इतना पानी क्यो ? हर सब्जी मे आलू क्यो ? और इस क्यो का नतीजा ये हुआ की अंकल सोच के पड़ गए की इतना पैसा ले रहा मैं क्यो ….और फिर मेस का खाना सुधर गया l
जब मेने शादी की अपनी मरजी से तब मुझे लगता था पापा कभी नही मानेगे और थोड़ा सही भी था मेरे पापा गुस्सा जल्दी हो जाते थे और ये तो बहुत बड़ी बात थी पापा ने मुझसे बस इतना कहा था की जैसा हम बोल रहे वैसा कर ले अगर सुधार आ गया तो ठीक हैं नही तो जो तुझे ठीक लगे वो करना 👍उनको लगता था मेरे ऊपर किसी ने कुछ किया हैं तब मेने एक बेबस पिता को देखा था पर अब मैं पीछे भी नही हट सकती थी l
करीब 8 साल तक बात नही हुई पापा से पर ऐसा भी नही था की खबर नही रखते थे हा पर नाराज तो थे मुझसे l
फिर एक दिन वो भी आया जब पापा से सामना हुआ मैं जलेबी लेकर घर गई थी साथ मे मेरा बेटा था और अच्छा लगा पापा खुश थे नाराज नही l
अब तो 1km की दूरी पर दोनो घर हैँ तो आना जाना लगा रहता और इतने सालों मे एक बात तो समझ आई की पापा कभी बोल नही पाते पर बेटा और बेटी मे बेटी ही जीत जाती हैं क्योकि बेटियां अपने पापा की परिया होती हैं 😊