पिता
माता ममता का चरित्र है ,
पिता दया की मूरत ।।
करें पुत्र-पुत्री का पालन ,
करें परिश्रम अविरत ।।
माता भोजन देती छककर
किन्तु पिता दें लाकर ।
अथक परिश्रम करके भी वे,
मुस्काते घर आकर ।।
माता तो है जननी लेकिन
पिता ही पालन करते हैं।
खुद को पीर भले ही हो पर
बच्चों के दुख हरते हैं ।।
बच्चों का सुख देख देखकर
खुद सुखी वे रहते हैं ।
खुद के अंदर ग़म का सागर हो
फिर भी ना कुछ कहते हैं ।।
माता की जय करते सब ,
दयावान पिता का ध्यान करो ,
बोलो मेरे साथ पिता का
जय जय जय जयगान करो ।।