पिता
* मुक्तक सृजन
* विषय – पिता
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मेरे जीवन की नैया का उम्मीद भरा पतवार पिता
हर मुश्किल जो आये मुझपर उसका खेवनहार पिता
बरगद बनकर छाँव घनेरी इस जीवन के उपवन में
हर उलझन के मध्य खड़ा अंगद बन रखवर पिता।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण