पिता
तेज धूप में खड़े रहें पर, बच्चों को देते छाया
दिखलाते ना कष्ट किसी को,अजब पिता की है ये माया
धीरज रखते सदा धरा सा,और गगन के जैसा मन
धन्य वही हैं जन जग जिनके,रहा पिता का सर पे साया।।
प्रदीप चौहान’दीप’
तेज धूप में खड़े रहें पर, बच्चों को देते छाया
दिखलाते ना कष्ट किसी को,अजब पिता की है ये माया
धीरज रखते सदा धरा सा,और गगन के जैसा मन
धन्य वही हैं जन जग जिनके,रहा पिता का सर पे साया।।
प्रदीप चौहान’दीप’