पिता’ शब्द है जीवन दर्शन,माँ जीवन का सार,
पिता’ शब्द है जीवन दर्शन,माँ जीवन का सार,
पिता शांत है सागर सा, माँ गंगा की धार।
पिता अंधेरों में दीपक सा, माँ भटकों को राह,
मात-पिता इन दो शब्दों में मिल जाता संसार।
पिता फूल है कांटो के संग,खुशबू इसकी माँ,
पिता रात में ध्रुव तारे सा, दिशा दिखाती माँ।
पिता ठंड में सूरज जैसा,गर्मी में शीतल छांव है माँ,
पिता सहन का दम्भ है, मर्यादा है माँ