पिता कैसे है………!?
वे बताते कहां है
अपनी खुशी दिखाते कहां है
हां हां वो पिता ही है।।
आंसू जो पी पी कर अपना प्यास बुझाते है कभी
संतानों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाते है वही,
लाख दुख आए एक हाथ हमेशा दिखता है
हां हां वो पिता ही है
मर्यादा की श्रेष्ठता उनमें है
प्रेम की असीम गहराइयां उनमें है
लाख डांटते होंगे , लेकिन एक सतज्ञान उनमें है
वही संतान वासनांधता में उन्हें ही बेइज्जत करते है
लाख सहकर जिल्लतो को प्रेम सभीसे करते है
हां हां वो पिता ही है।।।
हां हां वो पिता ही है।।।।।।।।।
पहले प्रेम करो अपने मात- पिता से गैरों में क्या रख्खा है
लाख पैसों पे तोलो किसी को लेकिन प्रेम इनसे ना कोई मंहगा है।