पिता के गुण
पिता एक ऐसा व्यक्तित्व होता है जिसे अगर एक वाक्य मे समझाने को बोला जाएं तो यहाँ असंभव होगा। और साथ ही ऐसा व्यक्ति जिसे दुनिया मे हमारी सबसे ज्यादा फ़िक्र होती है या जो हमारे सबसे बड़े शुभचिंतक होते है। इसमे एक जाहिर सी बात है की भले हमारे पिता को भविष्य की बातों की जैसे आगे पढाई क्या करनी चाहिए या कौन सा व्यवसास करना चाहिए ये पता ना हो और उतनी जानकारी ना हो इसलिए शायद उनके भविष्य को लेकर फैसले गलत हो सकते है लेकिन इसके पीछे उनकी नियत कभी गलत नही होती की मेरा बेटा मुझसे पीछे रहे या सफल ना हो सके उनके विचार हमारे बारे मे हमेशा सकरात्मक होते है।
अब अगर ध्यान दे तो जैसे ही हम घर से बाहर होते है तो कुछ को छोड़कर पूरी दुनिया हमे नीचा दिखाने मे लगी रहती है लेकिन इस वक़्त पिता ही है जो गलत हो या सही लगातार प्रोत्साहित करते रहते है।
संघर्ष जिसके बिना शायद ही कोई आदमी जीवन मे सफल हुआ हो और इस चीज को सिखाने वाला अकेला पिता ही होता है जो एक दोस्त बनकर हमारी सहायता करते है।
अब बात आती है विश्वास की भरोसे की जिसके बिना बेटे और पिता का रिश्ता चल ही नही सकता तो भरोसा सदा बनाए रखना चाहिए क्योंकि मेरा हिसाब से जब भी आप पिता का भरोसा तोड़ते है तो आप उनसे आँख मिला के कैसे बात कर सकते है ऐसे परिस्थिति मे भी पिता ही सहारा देता है।
अब आई पिता के प्यार की बात तो पिता हमसे कितना प्यार करते हैं ये जताता नही कभी भी जैसे अन्य कोई भी कहता है की कैसे हो, क्या कर रहे हो पिता ये सब नही पूछता लेकिन हमेशा ईश्वर से अपने बेटे की सफलता की कामना करता हैं।
और पिता को भी हमे थोड़े प्यार की जरूरत होती हैं लेकिन उनकी चाह इतनी सी होती है की जब भी बेटे को फोन करू बस वो एक बार फोन उठा के बात कर ले इतनी सी उनकी इच्छा होती हैं।
अब पिता की तारीफ़ मे कई किताबे लिखी जा सकती है पर मैंने कुछ लेख के द्वारा इसे समझाने की कोशिश की है।