“पिता” काव्य प्रतियोगिता
काव्य प्रतियोगिता
शीर्षक: ” पिता”
पिता का वरदहस्त सुखकारक है
कल्पवृक्ष सा फलदायक है ।
वंश परंपरा का है वाहक,
सबकी उन्नति का सहायक है ।।
नभ विस्तारक सा आच्छादन,
वटवृक्ष की छाया सा अनुभव।
पोथियां पढ़ाई संस्कारी ,
हैं उच्चशिखर पर हम सब।।
मधुरम वाणी गीतों से सजी
निश्चल, निर्मल ,उन्मुक्त हंसी।
परिवार की नौका के मल्लाह
अविराम गति थी नहीं फंसी ।।
हर खुशियां दीं हमको तुमने
कल्पवृक्ष हुआ है फलदायी।
ईश्वर तुमको प्रसन्न रखे,
तुम हो हमरे जीवनदायी।।
स्वरचित—
डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश।
मौलिक, अप्रकाशित।
16- 06- 2022