पाषाण और इंसान
पत्थर ने मानव को कंदराओं में शरण दी है,
मानव की प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा की है ।
कभी हथियार बन जंगली जानवरों से बचाया,
साया बन गर्मी, सर्दी, धूप बरसात से बचाया है ।
मानव का आग से रिश्ता पत्थर ने ही बनाया है,
आग से पहले तो मानव ने कच्चा ही खाया है ।
पत्थर के साथ मानव का लंबा रिश्ता है,
कभी मानव तो कभी पत्थर पिसता है ।
हर कदम पर पत्थर ने ही मानव को बचाया है,
पर सोच कि मानव ही पाषाण में प्राण लाया है।
साइंस के युग में भी किस सफाई से ठगा है,
कि मानव पाषाण में भी प्राण डालने लगा है ।