पावस गीत :
वाह बदरवा हरसाए हैं
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वाह बदरवा हरसाए हैं ।
खुशियों की बरखा लाए हैं ।।
रिमझिम -रिमझिम पड़ें फुहारें।
चारों ओर बस दिखें बहारें।
तप्त ह्रिदय शीतल -प्रमुदित हो,
स्नेहसुधा – ह्रिदयों में उतारें।
ताल – तलइया भर आए हैं।
बाग – बगीचे इतराए हैं।।
वाह बदरवा हरसाए हैं ।
मन मयूर का अनुपम नर्तन।
नैसर्गिक अनहद और चिन्तन।
बदल गया मौसम का तेवर,
हिरन हुआ अवसाद व क्रंदन।
क्रिषक खुशी से पगलाए हैं।
खेत जवाँ हो लहराए हैं।।
वाह बदरवा हरसाए हैं।
पिकनिक की बहार आई है।
काली घटा गज़ब छाई है।
मोर – पपीहा गीत सुनाते,
बरखा सबके मन भाई है।
हम बादल के मन भाए हैं।
ठंढक पा सब इठलाए हैं।।
वाह बदरवा हरसाए हैं ।
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@डा०रघुनाथ मिश्र ‘सहज’
अधिवक्ता /साहित्यकार
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