पावन सावन का त्यौहार_
हरियाली की चुनर, प्रकृति का नवश्रृंगार
बागों में झूले पड़े ,आई बूंदों की बौछार
मेहंदी , बिंदी , काजल कर सोलह श्रृंगार
सखियों संग झूला झूले , सुंदर सुंदर नार।
झूमे वन उपवन सारे ,आई मस्त बहार
मोर पपीहा गाएं ,कजरी राग मल्हार
कल -कल बहती नदियां,करें जल विस्तार
फसलें झूमी खेतों में ,पा बूंदों का प्यार
मनवांछित फल देने आया यह पावन त्यौहार
अमर सुहाग वर मांगती ,कर सावन सोमवार
श्रावण शिव अभिषेक से मिलता पुण्य हजार
जीवन को गति मिले ,और सुख अपरंपार।
_चारूमित्रा