पार्क
..रात के अंधेरे में उदास पार्क सूखा-सा, डरा हुआ निस्तब्ध। अब सुबह कितना उन्मुक्त है चारों ओर हरियाली जैसे वृक्ष हिल रहे हो और पौधे नाच रहे हो, घास पर चिमटी ओस की बूंदे और शफ़ाफ़ आसमां। दूर टैरेस के पीछे से निकलता लाल सूरज अब धीरे-धीरे ‘क्लोज-अप’ होने लगा है..। मनोज शर्मा