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9 Jul 2024 · 1 min read

पाप…..

पाप…..

कितना कठिन होता है
पाप को परिभाषित करना
क्या
निज स्वार्थ के लिए
किसी के उजाले को
गहन अन्धकार के नुकीले डैनों से
लहूलुहान कर देना
पाप है

क्या
अपने अंतर्मन की
नाद के विरुद्ध जाना
पाप है

क्या
किसी की बेबसी पर
अट्टहास करना
पाप है

क्या
अन्याय के विरुद्ध मौन धारण कर
नज़र नीची कर के निकल जाना
पाप है

वस्तुतः
सोच से निवारण तक
अंतरात्मा के विरुद्ध जाना ही
पाप है शायद

सुशील सरना /9-7-24

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