पापा का प्यार न्यारा होता
धूल मिट्टी सब एक कर
ललाट में ओस की बूंद
मुस्कान दिखता मुख पर
वो तो पापा ही कर पाए
अद्भूत होता इनका प्यार ।
अकसर नजर अंदाज होता
पापा का प्यार न्यारा होता
सुनहरे सपने को बलिदान दे
बसंत काल की बहार लाता
यही इनका अलग अंदाज ।
अद्भुत शक्ति समाए हैं
देता अभिमान का मान
मेरी खुशी उनकी शान
उनकी उम्मीद मेरा कर्तव्य।
नाम ,धर्म मिलता एक पहचान
साहस , हिम्मत और शोहरत
देता एक अपना आयाम
जो ना सुने फरमान पिता की
ठोकर खा – खाकर बिगड़े काम ।
बाप पर बाप ना बनो
अपना भाग्य खराब मत करो
तुम भी एक दिन याद रखो
आज जो तुम बेटा हो
एक दिन तुम भी बाप बनोगे। ।
गौतम साव
वेस्ट बंगाल