पापा पर कविता 2
भगवान का ही आप इक, अवतार थे पापा।
इस जिंदगी के आप ही, आधार थे पापा।
दुनियाँ दिखाई आपने, जीवन नया दिया।
हर ख्वाहिशों को पूर्ण कर, मुझको खुशी किया।
मेरी ही हर खुशी का तुम, आसार थे पापा।
इस जिंदगी के आप ही, आधार थे पापा।
करके कठिन परिश्रम, हमको पढ़ाया है।
थी मुश्किलें कितनी मगर , खर्चा उठाया है।
हर मुश्किलों का आप तो, आसान थे पापा।
इस जिंदगी के आप ही, आधार थे पापा।
फिर जेष्ठ का सम्मान भी, करना सिखा दिया।
हमको जगत में सत्य पर, चलना सिखा दिया।
अच्छे मिले वो आपसे, सुविचार थे पापा।
इस जिंदगी के आप ही, आधार थे पापा।
थी जिन्दगी खुशियों भरी, माँ का सुहाग थे।
हम सबकी थे उम्मीद और, बेटी की आस थे।
मेरे लिए ही आप तो, संसार थे पापा।
इस जिंदगी के आप ही, आधार थे पापा।
अभिनव मिश्र “अदम्य”