पापा के परी
तु पापा के परी रहलू, छुर छुरी पड़ाका बन गईलू!
पापा के आंख में धूल झोक के, हिन्दू से मुस्लिम बन गईलू!!
आरे का ना सोचले रहलन, पापा जी तोहरा बारे में!
पर गलती तु कई दिहलु, बीच मजधारे में!!
सपना रहे उनकर बढ़!
तबे तऽ भेजले शिक्षा के गढ़!!
सोचले की परी बिटियां हमार डाॅक्टर बनिहन!
पापा जी के नाम के समाज में रौशन करिहन!!
परी बिटियां डाॅक्टर तऽ ना बनली,
पर पापा के नाम के रौशन कईली!
बरसो के इज्जत समाज में बनल रहे,
ओह के माटी में मिलाके पंथ कईली!!
तुतऽ आपन नसीब खराब कईबे कईलू!
ओ घर में आवे वाला नई पीढी के बेटियन के भी नसीब खराब कईलू! !
आज पापा जी के बुझात होई,
कि बेटियां पर एतना विश्वास काहे कईनी!
आ परी बेटियां के बेटी बनाके रखती,
बेटा जईसन व्यवहार काहे कईनी! !
आरे शादिए करे के रहे तऽ पापा जी से बोल दिहतू!
पापा जी से ना कहतु तऽ माईये से बोल दिहतू!!
पापा जी सुंदर दुल्हा खोज के शादी करतन धूमधाम से!
हजारों लोग आईत शादी में आशीर्वाद देवे इनविटेशन कार्ड से!!
ये से कुल खानदान के मान रहित, दुल्हा के अपनईतु शान से!
मायके ससुरा आवत जात रहतु, अतिथि रूप सम्मान से!!
————————-०००—————————-
कवि : जय लगन कुमार हैप्पी