पापा की याद
आंखें छलक जाती है
जब पापा आपकी याद आती है
मधुर स्मृतियों से मेरे
मन की पिटारी भर जाती है
छोटी सी दुकान सेही पापा
पापा आप हम सबकी खुशियां लाते
कमी ना लगे किसी चीज की हमें
इतना धनवान आप बन जाते
हमारी जरुरतें बिना कहे समझ जाते
अपने हाथों से बना स्वादिष्ठ पानीपूरी
हंस हंस कर हमको खिलाते
गर बीमार मै हो जाती
सिरहाने बैठ सिर पर हाथ फिराते
जल्दसे स्वस्थ्य हो जाऊं मै
तंत्र मंत्र नजर डाक्टर बुलाते
ससुराल चले गए जब हम
हाल-चाल पूछने के खातिर
फोन को खड़खड़ाते
कैसी है मेरी लाड़ बेटा
कहकर प्यार जताते
पापा हमारे अमीर नही थे
फिर भी कुबेर सा खजाना
हम पर लुटाते
कभी शेफ,कभी डॉक्टर, कभी जोकर
कभी टीचर, कभी दोस्त की भूमिका
में पापा आप साथ निभाते।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान