पानी से पानी पर लिखना
, पानी से पानी पर लिखना
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पानी से पानी पर लिखना,यूँ तो सहज नहीं है !
पर पानी से पानी पर भी, पानी लिख जाता है !!
नम औ गर्म मिले हों जब भी,ऊष्म हुआ करता-
ऊष्म अनवरत ऊष्म रहे तो,भाप बना करता है !
कुदरत ने सोंपे कुदरत को,धन-ॠण दोनों पहिए –
दोनों का एक गति में चल मिल नया हुआ करता है
पानी से पानी पर पानी भी लिखना ——- संभव है
लेकिन तभी जभी ॠण-धन का मेल हुआ करता है
नर धन है तो नारी ॠण है,दोनों का —- मिलना ही –
दोनों का मिलना ही तो नव सृजन हुआ करता है !
नारी जनक स्वत:रज-कण की,जो पानी गति होता –
पानी की गति क्रियाशील भी शुक्र हुआ करता है!
जब रज डिम्ब तरल बह मिलते,बीर्य शुक्र से जा कर-
तब दोनों पानी पानी मिल,पानी लिख ——–देता है !
पानी से ही पानी उपजे ,पानी की ——– महिमा है –
जहाँ न पानी सम-सम हो तो दोष हुआ करता है !
कर्म कसौटी खरा न उतरे ,पानी-हीन—— कहाता –
जब सम-भाव न मिले युग्म यह तभी हुआ करता है !
पानी पर पानी से पानी लिखना सहज नहीं था –
पानी से पानी उपजेगा ,मर्म हुआ —– करता है !
रजो-वीर्य दोनों ही पानी,द्वय पानी मिल सिरजें पानी-
पानी को आकार मिले तो,सृष्टि -चक्र चलता रहता है !
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[12-01 2024 ]