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10 Jun 2017 · 1 min read

पानी मे जब झूठ के पक जाती है दाल

गढ़ता है समभाव से , सारे कलश कुम्हार !
होते हैं तैयार पर,….सही आठ मे चार! !

लाते हैं परिवार मे,,अपना सभी नसीब!
हो जाता कोई धनी, ….कोई रहे गरीब! !

होता है तब वाकई दिल को बडा मलाल !
पानी मे जब झूठ के,पक जाती है दाल !!

नही पकेगा शर्तिया, ..कुछ भी करो उपाय !
घी मे चावल डालकर, जो भी रहा पकाय! !
रमेश शर्मा.

Language: Hindi
1 Like · 215 Views
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