पानी में
जुबान उनकी आग लगाए पानी में
मत्स्य प्रेमी के भाग जगाए पानी में
माथा हिल जाए जैसे है गुड़भंग पिया
फिर आहिस्ते से फाग सुनाए पानी में
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
जुबान उनकी आग लगाए पानी में
मत्स्य प्रेमी के भाग जगाए पानी में
माथा हिल जाए जैसे है गुड़भंग पिया
फिर आहिस्ते से फाग सुनाए पानी में
-सिद्धार्थ गोरखपुरी