पानी — न इसे बर्बाद करो — गीत
मचा मचा है हाहाकार,बचाओ पानी का संसार।
बिन पानी के कहां है जीवन।
बदलो अब तो निज व्यवहार।
न इसे बर्बाद करो,नीति अब इजाद करो।।
(१)
खनन खनन कर हमने सबने।
छेद जमी में कर डाले।
यहां मिलेगा वहां मिलेगा।
मशीनी ओजार चला डाले।।
करतूतें यह हम सब की है।
कोई किसी की कब माने।
नीर पाताल लोक पहुंचाया।
होगा आगे क्या जाने।।
चैत जाओ अरे जाग जाओ सब।
सुनो सुनो मेरी फरियाद ———!
न इसे बर्बाद करो नीति अब इजाद करो।।
(२)
जानते है हम आप सभी तो।
जल के बिना न जीवन है।
मनमानियां करते फिर भी तो।
नीति का न निर्धारण है।।
जैसे तैसे हम जी लेंगे।
बचा है जितना वह पी लेंगे।
भविष्य को क्या दे पाएंगे।
आने वाली पीढ़ी के लिए क्या?
**जीवन** छोड़ पाएंगे।।
नीर बचाओ, नीति बनाओ।
रखो यही अब याद ———!
न इसे बर्बाद करो,नीति अब इजाद करो।।
राजेश व्यास अनुनय